पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३५९

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(३३१ ) मूल यह हो कि नागार्जुन ने ही सबसे पहले मैसूर या बालाघाट- वाली सोने की खान का पता लगाया हो । नागार्जुन ने अपने दीर्घ जीवन में जिन बहुत-सी विद्याओं का ज्ञान प्राप्त किया था, उनमें धातुओं और रसायन की विद्याएँ भी थीं। १६. पल्लव और उनका मूल $ १७३. जो पल्लव लोग सातवाहनों के अंतिम अवशिष्टों अर्थात् इक्ष्वाकुओं और चुटुओं को दबाकर और अधिकारच्युत करके स्वयं उनके स्थान पर बैठे थे, उनका भार- भारतीय इतिहास में तीय इतिहास में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण पल्लवों का स्थान स्थान है। उन्हें दक्षिण भारत के वाकाटक और गुप्त ही समझना चाहिए। जिस प्रकार उत्तर भारत में वाकाटकों ने संस्कृत का फिर से प्रचार किया था, उसी प्रकार दक्षिण भारत में पल्लवों ने किया था। और जिस प्रकार उत्तर भारत में वाकाटकों ने शैव धर्म को राजकीय धर्म बनाया था, उसी प्रकार पल्लवों ने उसे दक्षिण में राजकीय धर्म बनाया था। जिस प्रकार गुप्तों ने उत्तरी भारत में वैष्णव धर्म को ऐसा स्थायी रूप दिया था कि वह आज तक प्रचलित है, उसी प्रकार पल्लवों ने दक्षिणी भारत में शैव धर्म की ऐसी जबरदस्त छाप बैठाई थी कि वह धर्म आज तक वहाँ प्रचलित है। जिस प्रकार वाकाटकों और गुप्तों ने समस्त उत्तरी भारत को मिलाकर एक किया था, उसी प्रकार पल्लवों ने दक्षिणी भारत में वह एकता स्थापित की थी जो विजय नगर के अंतिम दिनों तक ज्यों की त्यों बनी रही थी। जिस प्रकार वाकाटकों और गुप्तों ने उत्तर भारत को तक्षण-कला और स्थापत्य से अलंकृत किया था, उसी प्रकार पल्लवों ने दक्षिणी भारत को तक्षण और स्थापत्य से सुशोभित