पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३७

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( १३ ) पुराणों में विंध्य-शक्ति के आत्मज के शासन का महत्व बतलाते समय प्रारंभ में नाग राजवंश का वर्णन किया गया है । इस नाग राजवंश का उत्थान विदिशा में हुआ था जो शुंगों के शासन-काल में उपराज या राज-प्रतिनिधि का प्रसिद्ध निवास स्थान या केंद्र था। ६ १२. पुराणों ने विदिशा के नाग-राजवंश को नीचे लिखे दो विदिशा के नाम भागों में विभक्त किया है- ( क ) वे राजा जो शुंगों का अंत होने से पहले हुए थे और (ख) वे राजा जो शुंगों का अंत होने के उपरांत हुए थे। अनुगृहीत हूँ कि उन्होंने मुझे यह सूचित किया है कि किलकिला एक छोटी नदी है जो पन्ना के पास है। इसके उपरांत सतना ( रीवाँ ) के श्रीयुत शारदाप्रसाद की कृपा से मैंने यह पता लगाया कि यह नदी पन्ना के पूर्व ४ मील पर उस सड़क पर पड़ती है जो सतना से पन्ना की अोर जाती है और आगे यह नदी पन्ना नगर तक चली गई है । अभी तक इसका वही पुराना नाम प्रचलित है । आगे चलकर इसका नाम "महाउर" हो जाता है और तब यह केन नदी में मिलती है। इसके अतिरिक्त वहाँ कोशला और मेकला नाम के दूसरे स्थान हैं और उनके भी वही तत्कालीन नाम अभी तक प्रचलित हैं जिससे इस बात का और भी मिलान मिल जाता है। उक्त सूचना मिलने के उपरांत मैने स्वयं जाकर यह नदी देखी थी। पन्ना में सन् १८७० ई० में इस पर जो पुल बने थे, उन पुलों पर लगे हुए पत्थर भी मैंने देखे हैं, जिन पर लिखा है-"Kilkila Bridge" अर्थात् किलकिला का पुल ।