पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३९

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पुत्र ( १५ ) ६१३. पौराणिक वंशावलियों के अनुसार नागवंश में ई० पू० ३१ से पहले नीचे लिखे राजा हुए थे- . (१) शेष-'नागों के राजा', 'अपने शत्रु की राजधानी पर विजय प्राप्त करनेवाले' (ब्रह्मांड पुराण के अनुसार सुरपुर)। (२) भोगिन्-राजा शेष के (३) रामचंद्र-चंद्राशु,' दूसरे उत्तराधिकारी, अर्थात् शेप के पौत्र। (४) नखबान ( या नखपान)-अर्थात् नहपान । यहाँ यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि विष्णुपुराण में दी हुई सूची में यह नाम नहीं है और इसका कारण यही जान पड़ता है कि लोग इसे नाग-वंश का न समझ लें । (५) धनवर्मन् या धर्मवर्मन् -(विष्णुपुराण के अनुसार धर्मवमन् )। (६) वंगर-वायुपुराण और ब्रह्मांडपुराण में बंगर का नाम नहीं दिया है, केवल यही कहा है कि वह चौथा उत्तराधिकारी था अर्थात् शेप की चौथी पीढ़ी में था। संभवतः धर्म (इस सूची का पाँचवाँ राजा) शेप की तीसरी पीढ़ी में अथवा तीसरा उत्तराधिकारी था। इसके उपरांत परवर्ती राजा के समय से पुराणों में निश्चित ओर स्पष्ट रूप से विभाग किया गया है। भागवत में तो पहले के १. मैं 'चंद्रांशु' शब्द को रामचंद्र से अलग नहीं मानता, क्योंकि विष्णु पुराण में वह स्वतंत्र शब्द नहीं माना गया है २. यह नाम महाराज हस्तिन् के खोहवाले ताम्रलेख में वंगर गाँव (नौगढ़ के निकट ) के नाम से मिलता है। G. I., पृ० १०५ । 1