पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४०

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( १६ ) दिए हुए नाम बिलकुल छोड़ दिए गए हैं; और वायु पुराण तथा ब्रह्मांडपुराण में कहा गया है कि इसके बाद के राजा शुग राज- वंश का अंत होने के उपरांत' हुए थे; अर्थात् उस काल के उपरांत हुए थे, जब कि शातवाहनों ने नहपान पर विजय प्राप्त की थी, जब वे मध्यभारत में आ गए थे और जब उन्होंने कन्वों और शुगों पर भी विजय प्राप्त कर ली थी। शुंग नागों के इन परवर्ती राजाओं के नाम ये हैं- (७) भूतनंदी या भूतिनंदी। (८) शिशुनंदी। (६) यशोनंदी-(शिशुनंदी का छोटा भाई)। शेप राजाओं के नामों का उल्लेख नहीं है। ६१४. आगे बढ़ने से पहले यहाँ हमें यह बात समझ रखनी चाहिए कि वायुपुराण में इन वैदिश नागों को वृपर अर्थात् शिव का साँड़ या नंदी वृप या नंदी और शुग राजवंश का अंत होने पर जो राजा हुए हैं, उनके नामों के अंत में यह नंदी शब्द मिलता है। जान पड़ता है कि जो भार-शिव उपाधि पीछे से ग्रहण की गई थी, वह भावतः वायुपुराण के “वृष" और नामों के अंत में मिलनेवाले नंदी" शब्द से संबद्ध है। गया है। १ भूति ( भूत ) नदिस्ततश्चापि वैदिशे तु भविष्यति शुंगानां तु कुलस्यान्ते । पारजिटर कृत Purana Text, पृ० ४६, पाद- टिप्पणी १५ । २. वृषान् वैदिशकांश्चापि भविष्यांश्च निबोधत । २-३७-३६०.