(३६७ ) (प्रगृह्य तं)। और सातवाहन ने उसे कैद करके दक्षिण पहुँचा दिया था। सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से ब्राह्मण अधीनस्थ या भृत्य वंश महत्त्वपूर्ण हैं। दक्षिण में पहले से ही राजनीतिक ब्राह्मणों का एक वर्ग:वर्तमान था। ६१८६, ऊपर हम कौडिन्यों का उल्लेख कर चुके हैं। ये कौडिन्य लोग उस सातवाहन साम्राज्य के समय में जो कुछ समय तक दक्षिण और उत्तर दोनों में दक्षिण में एक ब्राह्मण स्थापित था, उत्तर से लेकर दक्षिण में अभिजात-तंत्र बसाए गए थे । बहुत दिनों से यह अनुश्रुति चली आती है कि मयूरशमन मानव्य के पूर्वजों के समय में कुछ ब्राह्मण वंश अहिच्छत्र से चलकर दक्षिण भारत में जा बसे थे और जैसा कि हम अभी आगे चलकर बतलावेंगे, यह मयूरशमन् मानव्य चटु शातकर्णि वंश का था । जान पड़ता है कि यह अनुश्रुति ऐतिहासिक तथ्य के आधार पर ही प्रचलित हुई थी। सातवाहनों ने कुछ विशिष्ट ब्राह्मण वंशों अर्थात् गौतम गोत्र, वशिष्ठ गोत्र, माठर गोत्र, हारीत गोत्र आदि में विबाह किए थे। दक्षिण (मैसूर) गौतमों की एक अच्छी खासी बस्ती थी । इक्ष्वाकुओं ने इस परंपरा का दृढ़तापूर्वक पालन किया था और कदेवों ने भी कुछ सीमा तक इसका पालन १. मत्स्यपुराण, पारजिटर कृत Purana Text, go ३८, ३, ६। २. बिहार-उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी का जरनल, १६. २६४ । ३. E. C. ७. १८६ । ४. उक्त ७, प्रस्तावना पृ०३ ।
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