पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४०७

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पाँचवाँ भाग उपसंहार धर्म-प्राचीर-बन्दः शशि-कर-सुचयः कीर्तयः सुप्रतानाः। -इलाहाबाद-वाला स्तंभ। १८. गुप्त-साम्राज्य-वाद के परिणाम $ २०५. समुद्रगुप्त ने सैनिक क्षेत्र में जो बहुत बड़े-बड़े काम किए थे, उनसे सभी लोग परिचित हैं और इसलिये यहाँ उनके विवेचन करने की आवश्यकता नहीं। यहाँ समुद्रगुप्त की शांति और यह ध्यान रखना चाहिए कि उसने सैनि- समृद्धिवाली नीति कता को आवश्यकता से अधिक आश्रय नहीं दिया था-कभी आवश्यकता से अधिक या व्यर्थ युद्ध नहीं किया था। शांति वाली नीति का महत्व वह बहुत अच्छी तरह जानता था। अपने दूसरे युद्ध के बाद उसने फिर कभी कोई अभियान नहीं किया था। बल्कि शाहानुशाही पहाड़ी रियासतों, प्रजातंत्रों या गणतंत्रों और उप- निवेशों को अपने साम्राज्य के घेरे और प्रभाव में लाकर उसने नीति और शांति के द्वारा अपना उद्देश्य सिद्ध किया था। उसके पास इतना अधिक सोना हो गया था, जितना उत्तरी भारत में पहले कभी देखा नहीं गया था, और यह सोना उसे इसीलिये मिला था कि उसने दक्षिणी भारत और उपनिवेशों को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। उसने दक्षिण के साथ वाकाटक