सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ३६३ ) सब लोगों ने मिलकर एक शक्ति को अपना नेता मान लिया था। यदि गुप्त लोग भी इसी प्रणाली का प्रयोग करते तो पौराणिक इतिहास-लेखक अधिक अच्छे शब्दों में उनका उल्लेख करता। मैं भी अपने देश के उक्त इतिहास-लेखक का अनुकरण करता हुआ कहता हूँ-"इस समय हम लोगों को गुप्तों के केवल अच्छे कामों का स्मरण करना चाहिए और उनके साम्राज्य-वाद को चाहिए।" भूल जाना