परिशिष्ट ख मयूरशर्मन् का चंद्रवल्ली वाला शिलालेख मैसूर के पुरातत्त्व विभाग की सन् १९२६ की सालाना रिपोर्ट, जो सन् १६३१ में प्रकाशित हुई थी, मुझे उस समय मिली थी जब कि मैं यह इतिहास लिखकर पूरा कर चुका था। उस रिपोर्ट (पृ० ५० और उससे आगे) में डा० एम० एच० कृष्ण ने मयूर शर्मन का एक ऐसा नया शिलालेख प्रकाशित किया है, जिसमें मयूरशमन का नाम स्पष्ट रूप से मिलता है। इस शिलालेख का मिलान मलवल्ली वाले उस कदंब शिलालेख के साथ किया जा सकता है, जिसमें मैंने मयूरशर्मन् का नाम पढ़ा है (देखो १६१ )। दोनों में ही उसका नाम मयूरशमन् लिखा है। यह नया मिला हुआ शिलालेख चीतलद्रुग के किले के पास चंद्रवल्ली नामक स्थान में एक झील के किनारे उसके बाँध पर खुदा हुआ है और तीन संक्षिप्त पंक्तियों में है। डा० कृष्ण ने उसमें कई भौगो- लिक नाम पढ़े हैं; यथा-पारियात्रिक, सकस्था (न), सयिन्दक, पुणाट, माकेरी। उन्होंने उस पत्थर का फोटो भी दिया है, जो कुछ स्थानों पर बहुत ही अस्पष्ट है और हाथ से तैयार की हुई अक्षरों की एक नकल भी दी है। उस फोटो को देखकर मैंने डा. कृष्ण का दिया हुआ पाठ जाँचा है और मेरी समझ में उस पाठ में कुछ सुधार की आवश्यकता है। डा० कृष्ण ने पहली पंक्ति का जो पाठ दिया है, उसेमैं पूरी तरह से ठीक मानता हूँ । वह इस प्रकार है-
पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४५३
दिखावट