पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/४९

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( २५ ) इन राजाओं का समय लगभग ई० पू० ११० से सन् ७८ ७८ ई० तक प्रायः दो सौ वर्षों का है। ३. ज्येष्ठ नाग वंश और वाकाटक ६२३. पुराणों के कथनानुसार ज्येष्ठ नागवंश, विवाह- संबंध के कारण, वाकाटकों में मिल गया विदिशा के मुख्य था। और जैसा कि हम आगे चलकर नागवंश का अधिकार बतलायेंगे, इस मत का समर्थन वाका- दौहित्र को मिल गया था टकों के शिलालेखों आदि से भी होता है। पुराणों में कहा है कि यशनंदी के उपरांत उसके वंश में और भी राजा होंगे अथवा विदिशावाले वंश में- तसि आन्वये भविष्यन्ति राजानस्तत्र वस्तु । दौहित्राः शिशुको नाम पुरिकायां नृपो भवत्' ।। अर्थात्-इस वंश में और राजा होंगे; और इन्हीं में वह दौहित्र भी था, जिसका नाम शिशु था और जो पुरिका का राजा हुआ था । यहाँ “राजानस्तत्र यस्तु" के स्थान पर कुछ प्रतियों में "राजानस्तम् (ना ते) त्रयस्तु वै” पाठ मिलता है जो स्पष्टतः अशुद्ध है, क्योंकि "त्रयः" शब्द के पहले "ते" शब्द की कोई १. P. T. पृ० ४६, पाद-टिप्पणी २३ । २. पुरिका के लिये देखो J. R. A. S १९००, पृ० ४४५ में TEREZT $T Ancient Indian Historical Traditions शीर्षक लेख, पृ. २६२ । इस लेख में पुरिका का जो स्थान निश्चित किया गया है, उससे यह होशंगाबाद जान पड़ता है ।