ये वे राजा हैं जिनका पुराणों में उल्लेख नहीं है। इन्हीं में शिवनंदी ( उसके राज्य-काल के चौथे वर्ष के लेख में यही नाम है; पर सिक्कों में शिवदात नाम मिलता है) भी है जिसका समय सन् ५० ई० के लगभग है। फिर सन् ८० से १७५ ई० तक कुशनों का राज्य था, जब कि नाग राजा लोग हटकर मध्यप्रदेश के पुरिका और नागपुर नंदिवर्द्धन नामक स्थान में चले गए थे ( देखो $$ ३१ क और ४४)। यदि हम उक्त दोनों सूचियों को मिलाकर प्रारंभिक नाग राजाओं की फिर से सूची तैयार करते हैं तो हमें नीचे लिखे राजा मिलते हैं- (१) शेषनाग। (२) भोगिन् । (३) रामचंद्र। (४) धर्मवा। (५) बंगर। (६) भूतनंदी। (७) शिशुनंदी। (८) यशानंदी । इन आठों का परस्पर जो संबंध है, वह ऊपर बतलाया जा चुका है। (देखो ६ १३) (६) से १३ तक पुरुषदात उत्तमदात लेखों और सिक्कों के आधार पर कामदात पाँच राजा। अभी अभी यह निश्चित भावदात नहीं है कि ये लोग किस क्रम से शिवनंदी या सिंहासन पर बैठे थे। शिवदात
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