४४ ) कुछ लिखा है, उसे डा. स्मिथ ने "त्रय नागस" पढ़ा है। त्रय के पहले यन (?) है । इसका आकार और इस पर के चिह्न वैसे ही हैं, जैसे इसके बादबाले सिक्के में हैं जिसका क्रमांक ११ है और जो प्लेट नं० २३ का १२ वाँ चित्र है। इस सिक्के का चित्र भी मैं यहाँ देता हूँ। क्रमांक ११. A. S. B. प्लेट नं० २३, चित्र नं० १२-कटघरे में वृक्ष है और ब्राह्मी में एक लेख है जिसे डा० स्मिथ ने "रथ यण गिच (f) म त (स)?" पढ़ा है। पीछे की ओर शेर खड़ा है। उसकी पीठ पर ब्राह्मी अक्षर हैं जिन्हें डा० स्मिथ ने निश्चित रूप से ब पढ़ा है और जिसके नीचे एक और अक्षर है जिसे उन्होंने य पढ़ा है। क्रमांक १२. 1. M., .E., प्लेट २३, चित्र नं. १३-डा० स्मिथ ने इसका वर्णन इस प्रकार किया है कटघरे में वृक्ष, बन, किनारे पर कुछ लेख के चिह्न । ( यह वास्तव में सीधा या सामने का भाग है, उलटा या पीछे का भाग नहीं है । ) [पीछे की ओर कठघरे में वृक्ष और अस्पष्ट चिह्न, किनारे पर ब्राह्मी में लेख (?) ग भेमनप (या ह)।] इन सिक्कों के वर्ग के ठीक नीचे उपविभाग नं.२ में डा० स्मिथ ने आठ ओर सिक्कों की सूची दी है जिन्हें वे देव के सिक्के कहते हैं। पर उन पर का लेख 'देव' है, या नहीं, इसमें उन्हें कुछ संदेह है (पृ. २०६, २०५, ५६६ )। जैसा कि ऊपर बतलाया जा चुका है, ये सिक्के वास्तव में नव नाग के हैं। इन सिक्कों पर भी कठघरे के अंदर वैसा ही वृक्ष बना है, जैसा ऊपर बतलाए हुए सिकों में है और जिसे उन्होंने तथा मुद्राशास्त्र के दूसरे ज्ञाताओं ने कोसम-चिह्न बतलाया है (प्लेट २३, चित्र नं. १५ और ५६)।
पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/७०
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