पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/७७

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यह सूची पुराणों से भी ठीक ठीक मिलती है, क्योंकि उनमें कहा है कि नवनागों के सात राजाओं ने राज्य किया था। अब हम इस बात पर विचार करना चाहते हैं कि नव नागों की जो और शाखाएँ पद्मावती तथ दूसरे स्थानों में गई थीं, उनका क्या हुआ और मुख्य वंश भार-शिव के राजाओं की राजधानी कहाँ थी। ६ २७. कुशन सम्राटों का शासन-काल लगभग एक सौ वर्ष है। यह बात मथुरावाले उन शिलालेखों से मालूम होती है जो उनके राज्य-काल के १८ वें वर्ष तक के भारशिव कांतिपुरी और मिलते हैं। कुशन राजाओं के शासन- दूसरी नाग काल का ३८ वाँ वर्ष वासुदेव के शासन- राजधानियाँ काल में पड़ता था और इसके बाद फिर हमें वासुदेव का और कोई समय या संवत् नहीं मिलता । जब भार-शिव लोग फिर से होशंगाबाद और जबलपुर के जंगलों से निकले, तब जान पड़ता है कि वे बघेलखंड होकर गंगा तक पहुँचे थे। बघेलखंडवाली सड़क से जो यात्री गंगा १. नागा भोक्ष्यन्ति सप्त वै । विष्णु और ब्रह्मांड पुराण । I. P. T., ५३ । २. J. B. O. R. S. १६, ३११, ल्यूडर्स की सूची नं० ७६, ७७. E. I. १० परिशिष्ट, पृ०८. राजतरंगिणी (C. I. १६६-१७२) में कहा है कि काश्मीर में तुरुष्कों की केवल तीन पीढ़ियों ने शासन किया था; यथा हुष्क (हुविष्क ), जुष्क (वासिष्क), और कनिष्क । इसके क्रम लगाने के लिये अंतिम नाम से प्रारंभ करके पीछे की ओर चलना चाहिए।