पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/१०३

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भक-दूसरा। - (गाम भौर नृत्य) । पजा है मम्पर गति स पवन रसीला नन्दन फानन का । । नदन कानन फा, रसीना नन्दन कानन का ॥१०॥ 'फूलों पर मानन्द भैरवी गात मधुकर वन्द, । विखर रही है मिस योषन की~किरण, खिला घरयि द, ध्यान है किसक मानन का ॥ नन्दन फानन का, रसीमा नन्दन कानन का ॥ १० ॥ उपा सुनहला मय पिलाती प्रकृति परसती फूल, मतवाले होफर देखो तो, विधि निषेप को मूरू पाज कर लो अपने मन का । नन्दन कानन का रसीला नन्दन कानन का ॥10॥ - समुद्रदत्त-"महा ! श्यामा का सा कपठ भी है। सुन्दरी, तुम्हारी जैसी प्रशंसा सुनी थी सुम वैसी ही हो, और एम पार इस तीन मावक को पिज्ञा दो । पागल हो जाने को इन्द्रियाँ प्रस्तुत है।" (श्यामा इजित करती है, वासियो जाती है) श्यामा-"जमा कीमिये, मैं इस समय पड़ी चिन्तिता हूँ इस कारण आपको प्रसन्न न कर सकी। अभी दासी ने प्राफर एक पास ऐसी कही है कि मेरा पिच चाल हो उठा है। केवल शिष्टा चार वरा इस समय मैने आपको गाम सुनाया ।