पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/१२८

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अजातशत्रु। + 4 - - फारायण-"हम लोग भी सो उमी का दखन भाये थे, आश्चर्य।।, क्या जाने फैसे वह स्त्री जी उठी ! नहीं सो अभी ही गौतम का । सन महात्मापन भूल जाता " रानी-"अच्छा अय इग लोगों को शीघ्र चलना चाहिये, जनता सब नगर की ओर जा रही है। देखो. सावधान रहना, मेरा रथ भो घाहर बड़ा होगा I ___ कारायण--"कुछ सेना अपनी निज की प्रस्तुत कर लेता हूँ जो कि राजसेना से घरावर मिली जुली रहेगी और काम के समय हमारी आज्ञा मानेगी " रानी-"और भी एफ बात कह देती हूँ कि फौशाम्पी का दूत । आया है. सम्भवत कौशाम्नी और फोराल की सेना मिलकर अजात पर माक्रमण फरेगी। उस समय तुम क्या करोगे।" फारायण-"एस समय वीरों को सरह मगध पर श्राफमण फरूगा और सम्भवत' इस थार अवश्य धजाव को पन्दी पना- गा। अपने घर की बात अपने घर में निपटेगी।" । गनो-(कुछ सोचकर ) "अच्छा । [दोनों नाते है] ____ पटपरिवर्वन ।