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पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/१५

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कथा-प्रसंग" प विहास में पटनाओं की प्राय- पुनरावृति होते देखी जाती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उममें गई नई घटना हाती ही नहीं। फिन्तु असाधारण 55 नईपटना मी भविष्यत् में फिर होने की पोशारखती है। मानम-मृमाज की कल्पना का भांगर भषय है, याकि वह इयाराफि का विकास है। इन फस्सनामों या इच्छाओं का मूलसूत्र पाहत ही सूक्ष्म और भपरिस्फुट होता है। जप बह इच्छाशक्ति किसीन्यति पा जाति में केंद्रीभूत होफर अपना सफल या विकसित रूप धारण करती है तभी इतिहास की सष्टि होती है। विश्व में जब वफ फापना इयचा को नहीं प्राप्त होसी सब तक पह रूप परिवर्सन फरती हुई पुनरावृधि करसी ही जाती है। राज नीतिज्ञ लोग पूर्ष घटना के उसी घुमार-फिरावे से बचने के लिये इतिहास का अनुशीलन करते है, और प्राचीन कल्पना को निर्दोप सथा मपूर्ण बनाने के लिये भूतपूर्व विघ्न म्यसप कारणों का पहिष्कार करते है। किन्तु समाज की प्रमिलाया अनत सोतवाली है। पूर्व कल्पना के पूण होते होसे एक नई फम्पना उसका विरोध करने लगती है, और पूर्वकल्पना कुछ काम सक ठहरफर, फिर होने के लिये अपना चेष प्रस्तुत करती है । इपर इतिहास का नवीन अप्याय खुलने लगता है। मानव समाज के इतिहास का इसी मकार मफलन होता है।