पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/२३

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किया प्रमा मन्यो पंचविंश संवाना ॥ इत्यादि लिम्बा है। समय है विद्वानों की स्लोज आगे पलकर किसी दूसरी पाव की सूचना दे, क्योंकि फौशादी में न वो अमी विशेप खोज ही हुई है और न विशेप शिलालेख इत्यादि ही मिले। इसलिये सभव है कौशांबी के राजपरा का रहस्य अमी पृथ्वी के गर्म में ही दया पहा हो। ____फया सरित्सागर में उदयन की दो रानियों का नाम मिला है, किन्तु वोद्धों के प्राचीन प्रयों में उसकी तीसरी रानी मागधी का नाम भी पाया है। - वास्पदचा और पद्मावती, इनमें से पासदचा उसकी घदी रानी थी, जो भवती के पंड 'महासेन की कन्या थी। समषत इसी पर का नाम प्रयोस मो 'था, क्योंकि मेपदृव में "प्रमोवम्य प्रियदुहितर मत्सराजोत्र अहे. और किसी प्रति में "चरम्यान प्रियदुहिवर वत्सराजो विजह । ये दोनों पाठ मिलते हैं। इधर बौद्धों के खेखों में अवती के राना का नाम प्रधोख मिलता है, और कया सरित्सागर के एक रलोफ से एक भ्रम और भी सत्पन्न होता है। यह यह है- " ततश्चडमहासेमप्रयोती पितरौ यो देख्यो - " तो क्या - प्रयोत पद्मावती के पिता का नाम था १ किन्तु विद्वान लोग प्रद्योत और बह-महासेन को एक ही मानते हैं। यही मस' ठीक है, क्योंकि मास ने मी भवंसी के राजा का नाम प्रद्योत ही लिखा है, और वासवचा में उमने यह दिखाया है कि मगध राजकुमारी पद्मावती को वह अपने लिये पाहता था। जैफीषी मे अपने यासबदचा में अनुवाद में अनुमान किया है कि यह प्रयोत समवस' पह-महासेन का पुत्र था, किन्तु जैसा कि प्राचीन राजा का देखा 'माता है, यह प्रपश्य प्रर्वती के राजा फी मुख्य नाम या उसका