पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/७९

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पहिला। बीवक-"महाराज ! देवी पासवी ने कुशल पूछा है और कहा है कि उस अवस्था में मैं प्रार्यपुत्र को छोड़ कर नहीं माँ मफती, इस लिये माई फुछ अन्यथा न समझेगे" . प्रसेन- जीयफ ! यह मुम क्या कहते हो । कोशलषुमारी दारयनन्दिनी शान्ता का उदाहरण उसके समक्ष है। दरिख पि के माय यह विठय जीवन व्यतीत कर सकती थी। क्या पासपी किमी दूसरे कोशल फी राजकुमारी है ? फुलशील पालन यही तो आर्म्यललनाओं का परमोग्मल ग्ल है । खियों का यही मुख्य घन है। अच्छा ! जाम्रो विश्राम करो।" (मीवर का मस्पार) (सेनापति बापुन का पवेश ) पन्धुल-"प्रयलप्रताप कोशलनरेश की जय हो ।” प्रसन-"स्वागत ! सेनापते ! तुम्हारे मुख से “नया शब्द ‘फिसना मुहावना सुनाई पड़ता है। कहो क्या समाचार है ?" पन्धुल-"मम्राट, कोशल की रिमयिनी पताका पीरों के रक्कम अपने अरुणोदय का वीम मेंज दौड़ाती है और शत्रुभों को उसी रक में नहाने को सूचना देती है। सम्राट् ! क्या -सुरु विद्रोही लुटेरे न्याय के सेज में भम्म न होंगे । राजाधिराज । हिमालय.फा सीमाप्रान्त-थर्यर लिस्चिषियों के रक्त से और भी ठसा कर दिया गया है। कोशल के प्रचण्ड नाम से ही शान्ति स्वय पहरा दे रही है। यह सबभीपरणों का प्रताप है । अव विद्रोह का