पृष्ठ:अणिमा.djvu/९७

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कहा, "महाराज ने आर यह कहा है—
नंगेपन के उत्तर में अपने गुरुदेव को
नंगे वावाजी को हम पेश यहाँ करते हैं।
स्वामीजी ने कहा,
"परमहंसदेव भी नंगे हो जाते थे।
गुरु सब एक हैं,
साधु अपमान नहीं करता, सह लेता है।"
चीफ़ मैनेजर को गहरा धक्का लगा।
ब्रह्मदेव कहने लगे—
"आप हैं सर्वश्रेष्ट राजकर्मचारी, तभी
हल्की-हल्की सज़ा का विधान किया गया है
आप हों या स्वामीजी, एक ही महज्जन
इस मार्ग से जायँगे, अन्य जन घूमकर।
पश्चिमीय के लिए सदा का निषेध रहा
मन्दिर-प्रवेश में।"
काँप उठे स्वामीजी,
"इसलिए नहीं आये"
कहा, "कभी दर्शन भी