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हिन्दू शब्द की व्युत्पत्ति
 


हिन्दू-शब्द की उत्पत्ति और अर्थ एक नए ही ढंग से किया है। आप ने इस विषय पर, तीन चार वर्ष हुए, बँगला-भाषा में एक लेखमालिका निकाली थी। उसके उत्तर अंश का मतलब हम यहां पर, संक्षेप में, देते है-

फारसी में हिन्दू-शब्द यद्यपि रूढ़ हो गया है तथापि वह उस भाषा का नहीं है। लोगों का यह ख़्याल कि फ़ारसी का हिन्दू-शब्द संस्कृत सिन्धु-शब्द का अपभ्रंश है केवल भ्रम है। ऐसे अनेक शब्द हैं जो भिन्न भिन्न भाषाओं में एक ही रूप में पाये जाते है। यहाँ तक कि उनका अर्थ भी कहीं कही एक ही है। पर वे सब भिन्न भिन्न धातुओं से निकलते हैं। उदाहरण के लिए शिव शब्द को लीजिए। संस्कृत में उसकी साधनिका तीन धातुओं से हो सकती है। पर अर्थ सबका एक ही, अर्थात् कल्याण या मङ्गल का वाचक है। यही 'शिव' शब्द यहूदी भाषा में भी है। वह अँगरेज़ी अक्षरों में "Seeva" लिखा जाता है। पर उचारण उसका शिव होता है। वह यहूदी भाषा में 'शू' धातु से निकला है। उसका अर्थ है "लाल रंग"। यहूदियों में 'शिव' नाम का एक वीर भी हो गया है। अब, देखिए, क्या संस्कृत का 'शिव' यहूदियों के 'शिव' से भिन्न नही? लोग समझते हैं कि संस्कृत का 'सप्ताह' और फ़ारसी का 'हफ़्ता' शब्द एकार्थवाची होने के कारण एक ही धातु से निकले हैं। यह उनका भ्रम है। हफ़्ता एक ऐसी धातु से निकला है जो संस्कृत-सप्ताह शब्द से कोई सम्बन्ध नहीं रखता। फारसी में से (से)स (स्वाद) स (सीन) श (शीन) ऐसे