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अतीत-स्मृति
 

अब तक हमने केवल अपने ही पुराणो और शास्त्रों आदि से, अनेक श्लोक उद्धृत किये है। इन श्लोकों से यह सिद्ध होता है कि भारतवासी बहुत पहले जमाने से ही जलयानों का व्यवहार करना जानते थे। किन्तु हमे अब यहाँ कुछ प्रमाण दूसरी सभ्य जातियों के ग्रंथों से भी देने चाहिए। इन ग्रन्थों और दक्षिण-समुद्रवत अनेक उपद्वीपों के पुरावृत्तों में इस विषय के अनेक प्रमाण मिलते हैं—

Periplus of the Erythian Sea (पेरिप्लस आव् दि एरीथियन सी) नामक ग्रन्थ में लिखा है कि अरब, ग्रीक और हिन्दू-व्यापारी सकोट्रा नामक उपद्वीप में व्यापार के लिए जाते और वहाँ ठहरते थे। क्राफर्ड नाम के लेखक ने बहुत प्रमाणो द्वारा सिद्ध किया है कि यवद्वीप (जावा) के प्राचीन निवासी हिन्दू थे। उन लोगों ने १८०० वर्ष पहले बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। यवद्वीप में जिस समय बौद्धों का प्रादुर्भाव हुआ उस समय वहाँ के हिन्दू उसे छोड़ कर निकटवर्ती वाली नामक एक छोटे द्वीप मे जा बसे। वे आज तक अपने प्राचीन धर्म्म का पालन करते हुए वहीं रहते हैं।

यवद्वीप के रहनेवाले हिन्दुओं ने १८०० वर्ष पहले बौद्ध-धर्म स्वीकार किया था। अतएव वे इसके पहले ही वहाँ पहुँचे थे, यह बात अवश्य माननी पड़ेगी। लगभग दो हजार वर्ष पहले भारत से जहाज़ों द्वारा हिन्दू लोग यवद्वीप पहुँचे और वहीं वे बस गये। इस विषय के भी यथेष्ट प्रमाण मौजूद हैं।