समाप्त हुआ। परन्तु आप जिस मकान में रहती हैं उसी में उसी भांति रह सकती हैं। वह मकान आपके भूतपूर्व पति ने आपको दे दिया है तथा दस हजार रुपया आपके जीवन-निर्वाह के लिए दे दिया है। आपकी लड़की भी शादी होने तक आप ही के पास रहेगी। परन्तु उसकी शादी और शिक्षा का भार आप ही पर रहेगा। हां, उसका एक बीमा डाक्टर साहब ने कर दिया है। जब उसका विवाह होगा, तब वह दस हजार रुपया शादी के खर्च के लिए आपको और मिल जाएगा, क्या आपको कुछ कहना है।'
'जी नहीं।'
'तो आप जा सकती हैं।'
विमलादेवी चुपचाप चली आई और डाक्टर कृष्णगोपाल छाती में तीर लगने से जैसे हिरन छटपटाता है, उस भांति की वेदना से तड़पते हुए, अपने नये आवास की ओर लौटे। उनकी आंखें झुकी हुई थीं, और लज्जा, ग्लानि और क्षोभ का जो प्रभाव इस समय वे अनुभव कर रहे थे, उसकी उन्होंने कभी कल्पना भी न की थी।
तलाक हो जाने के बाद मायादेवी और डाक्टर कृष्णगोपाल दोनों परस्पर बहुत कम मिलते, मिलने पर भी गुम-सुम रहते, दोनों ही परस्पर मिलने पर एक-दूसरे को प्रसन्न करने की चेष्टा करते, परन्तु यह बात दोनों ही जान जाते कि यह चेष्टा स्वाभाविक नहीं है, कृत्रिम है। मायादेवी अभी मालतीदेवी के साथ ही रह रही थीं, और डाक्टर कृष्णगोपाल अपने दूसरे मकान में आ गए