पृष्ठ:अदल-बदल.djvu/२८

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३० :: अदल-बदल
 

बेड़ी कटती नहीं बहिन! तुम जब तक स्वयं अपने पैरों पर खड़ी न होगी तब तक दूसरा कोई तुम्हें क्या सहारा देगा?'

'तो आप बचन देती हैं कि आप मेरी मदद करेंगी?'

'जरूर करूंगी।'

'लेकिन कानूनी झंझट का क्या होगा?'

'मेरे एक परिचित वकील हैं, मैं तुम्हें उनके नाम परिचय-पत्र दे दूंगी। उनसे मिलने से तुम्हारी सभी कठिनाइयां हल हो जाएंगी।'

'अच्छी बात है।'

'मैं तुम्हारा अभिनन्दन करती हूं मायादेवी, मैं चाहती हूं तुम भी पुरुषों की दासता में फंसी दूसरी हजारों स्त्रियों के लिए एक आदर्श बनो। साहसिक कदम उठाओ और नई दुनिया की स्त्रियों की पथ-प्रदर्शिका बनो। मैं तुम्हारे साथ हूं।'

'धन्यवाद मालतजी,आपका साहस पाकर मुझे आशा है, अब कोई भय नहीं। मैं अपने मार्ग से सभी बाधाओं को बलपूर्वक दूर करूंगी।' 'तो कल आना। हमारा वार्षिकोत्सव है, बहुत बड़ी बड़ी देवियां आएंगी, उनके भाषण होंगे, भजन होंगे, नृत्य होगा, गायन होगा, नाटक होगा, प्रस्ताव होंगे और फिर प्रीतिभोज होगा। कहो, आओगी न?'

'अवश्य आऊंगी।'

'तुम्हें देखकर चित्त प्रसन्न हुआ। याद रखो, तुम्हारी जैसी ही देवियों के पैरों में पड़ी परतन्त्रता की बेडियां काटने के लिए हमने यह संस्था खोली है।'