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विद्वान् घोड़े

झते हैं। इसी से वे ध्वनि के अनुसार, जैसा कि देवनागरी-लिपि में होता है, उनकी वर्ण-कल्पना करते हैं। अस्तु।

मुहम्मद एक दफ़े बीमार हो गया। उसकी पिछली टाँग में चोट आ गई। वह लँगड़ाने लगा। पशु-चिकित्सक डॉक्टर मिटमैन बुलाए गए। उन्होंने उसे देखा, और दवा बताकर चले गए। इसके बाद डॉक्टर डेकर उन घोड़ों को देखने आए। उन्हें क्राल साहब ज़रिफ़ के पास ले गए। जाकर वह उससे बोले—डॉक्टर मिटमैन की तरह यह भी चिकित्सक हैं। इनका नाम है डेकर। परंतु यह मनुष्य की चिकित्सा करते हैं, पशुओं की नहीं। आध घंटे तक ज़रिफ़ का इम्तहान—जोड़, बाक़ी, गुणा, भाग, वर्गमूल, घन-मूल तथा वर्ण-निदेश या स्पेलिंग् में—हुआ। सबमें वह पास हो गया। इम्तहान हो चुकने पर क्राल ने उससे पूछा—क्या तुम्हें इनका नाम अब तक याद है? ज़रिफ़ ने अपने पैरों के ठोंकों से उत्तर दिया—D.G.R याद रखिए, Dekker के सही-सही उच्चारण करने से प्रायः उन्हीं तीन वर्णों की ध्वनि मुँह से निकलती है। ज़रिफ़ वर्णों के बीच का स्वर भूल गया था। पर याद दिलाने पर उसने अपनी भूल सुधार दी।

आस्टिन के साथ वैज्ञानिकों ने कैसा सुलूक किया था—उसे किस तरह झूठा ठहराया था—यह बात काल साहब अच्छी तरह जानते थे। अतएव उन्होंने अपने घोड़ों की शिक्षा का समाचार अख़बारों में न प्रकाशित किया। कुछ ही विश्वसनीय विद्वानों और मित्रों को उनकी परीक्षा लेने दी। तीन साल बाद,