दिसंबर में मुहम्मद ने कुछ शब्द जर्मन और कुछ फ्रेंच-भाषाओं के सीख लिए, और इन भाषाओं में किए गए प्रश्नों को वह समझ भी लेने लगा। १९०९ के मई महीने में मुहम्मद वर्ग-मूल और धन-मूल भी सीख गया, और गणित के कठिन-से कठिन प्रश्नों का उत्तर देने लगा। गणित-ज्ञान में उसने मनुष्य का भी मात कर दिया।
इसके बाद उन घोड़ों को पढ़ना और 'स्पेलिंग्' करना सिखाया जाने लगा। रोमन-वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के लिये ११ और ६६ के बीच का कोई अंक निश्चित किया गया। चार ही महीने की शिक्षा से ज़रिफ़, चाहे जो शब्द उसके सामने उच्चारण किया जाय, उसके स्पेलिंग् कर लेने लगा—फिर चाहे वह शब्द कभी उसने बोर्ड पर लिखा देखा हो, चाहे न देखा हो। कल्पना कीजिए, उसके सामने पेपर ( Paper )-शब्द बोला गया। बोलते ही वह P-A-P-E-R कह देगा। अर्थात् इन पाँचों वर्णों के लिये जो अंक निश्चित होंगे, उन्हें वह अपने पैरों के ठोंकों से बना देगा। जर्मन या फ्रेंच-भाषा में उन-उन भाषाओं के शब्द-विशेषों में जो वर्ण होंगे, उनकी वह कम परवा करेगा। परवा वह सिर्फ़ उच्चारण की ध्वनि की करेगा। अर्थात् ध्वनि से जो स्वर या व्यंजन व्यक्त होंगे, उन्हीं को वह अपनी टापों से बतावेगा। इससे यह भी सिद्ध हुआ कि जर्मन, फ्रेंच और अँगरेज़ी आदि भाषाओं की शब्द-लिपि अस्वाभाविक है। इस बात को मनुष्य ही नहीं, घोड़े तक सम-