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ग्रहों पर जीवधारियों के होने का अनुमान


कम उष्णता रहती है। मंगल में पृथ्वी की अपेक्षा वायु कम है; उसमें सूर्य की उष्णता भी कम है; इसलिये उसमें अधिक वायु की आवश्यकता नहीं। शुक्र में भी वायु होने का पता लगा है। परंतु उसका परिमाण नहीं जाना गया। सूर्य के बहुत निकट होने के कारण बुध दूरबीन से अच्छी तरह देखा नहीं जा सकता। इसलिये यह नहीं जाना गया कि उसमें वायु है, अथवा नहीं। तथापि ज्योतिष-विद्या के जाननेवालों ने कई कारणों से यह अनुमान किया है कि उसमें भी वायु अवश्य होगी।

उष्णता और वायु के सिवा प्राणियों के लिये जल की भी आवश्यकता होती है। दूरबीन से देखने से यह जाना जाता है कि शुक्र और मंगल में पानी है, क्योंकि इन ग्रहों में बर्फ़ के पहाड़-के-पहाड़ गलते हुए देखे गए हैं। जहाँ बर्फ़ है, वहाँ पानी होना ही चाहिए। इसका पता ठीक-ठीक नहीं लगा कि बुध में पानी है अथवा नहीं; परंतु जब उसमें वायु का होना अनुमान किया गया है, तब पानी होने का भी अनुमान हो सकता है।

इन बातों से सूचित होता है कि यदि बुध जीवधारियों के रहने योग्य नहीं, तो शुक्र और मंगल आवश्य हैं। अब इस बात का निश्चय करना कठिन है कि इन दो ग्रहों में किस प्रकार के प्राणी और किस प्रकार के वनस्पति होंगे। जैसा देश होता है, उसमें वैसे ही मनुष्य, पशु, पक्षी और वनस्पति होते हैं। जिन देशों में सर्दी अधिक पड़ती है, उनमें वैसे ही जीव उत्पन्न