सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:अद्भुत आलाप.djvu/७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७८
अद्भुत आलाप


एक साझी काम चलाता था, कुछ काल दूसरा। दोनो का एक ही शरीर में रहना पहले तो असंभव-सा प्रतीत हुआ, पर कुछ समय बीतने पर दोनो एक ही में रह गए, और बीच के समय की त्रुटि भी न बोध होने लगी। अर्थात् उनका यह संस्कार जाता रहा कि हमें छ सप्ताह सोते बीते। वे समझने लगे कि हम दो आदमी एक ही घर में रहते हैं, और यह भी उन्हें स्मरण होने लगा कि हमारा अमुक समय अमुक दशा में बीता।

एंसेलबूर्न का उदाहरण

हाना की कथा से इसमें इतना हो भेद है कि इसमें दो व्यक्तियों ने एक शरीर में रहकर परस्पर एक दूसरे को नहीं जाना।

१७ जनवरी, सन् १८८७ को रीड्स-नामक शहर के निवासी एंसेलबूर्न ने एक बैंक से कई हज़ार रुपए कुछ ज़मीन खरीदने के लिये निकाले, और उन्हें लेकर वह एक गाड़ी पर सवार हुए। उस समय से लेकर १४ मार्च तक उनका क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला। वह ख़ुद हो नहीं जान सके। एक आदमी ने, जिसने अपना नाम ए० जे० ब्राउन बतलाया, एंसेलबूर्न के शरीर को अमेरिका पहुँचाया, और उन रुपयों से मिश्री का गोदाम खोला। १४ मार्च को ए० जे० ब्राउन ग़ायब हो गया, और एंसेलबूर्न सोकर उठा। वहाँ वह कैसे आया, यह उसे विदित न था। उसे बैंक से रुपए लेकर चलने तक की सिर्फ़ याद थी। उसका वजन प्रायः १० सेर कम हो गया था। लोगों ने पहले तो उसे पागल समझा, पर पीछे से घर पहुंचाया।