पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१७८

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केवल रात्रि में

मैं केवल रात्रि में ही जीता हूँ। तुम्हारे स्वप्नों के सहारे। जीवन मेरे लिये श्वास लेना मात्र है।

एक दिन, एक घड़ी, एक क्षण के लिये अपना प्यार फिर मुझे दो।

उल्लास जला जा रहा है। और मैं उसकी प्रतीक्षा मे हूँ---उसे मुझे दो। यदि मैं उस घड़ी, उस क्षण, के पूर्व ही मर जाऊँ तो फिर तुम्हे कभी यह कष्ट न करना पड़ेगा।