पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१८५

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ऊषा

अभी ऊषा का उदय भी नहीं हुआ। ठण्डी हवा का यह झोका लता गुल्मों को हिलाता और वृक्षों को झकझोरता हुआ अपनी राह जा रहा है। रात्रि का अन्धकार और शीतलता अभी है।

वह कौन पक्षी शोकपूर्ण स्वर मे आने वाले दिन का स्वागत कर रहा है?