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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/२००

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कहानी

तुम कितनी कहानी कहती थी मां, उसकी अब एक विस्मृत स्मृति ही बची है, परन्तु अब तो मैं धीरे धीरे स्वय एक कहानी बनाता जा रहा हूॅ मां!