पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१९९

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पूछता २ तुम्हारी गोद मे सो जाता। और तुम हंसी को होठो की कोर मे छिपाती धीरे २ मेरे सारे शरीर पर प्यार का हाथ फेरती हुई न जाने क्या २ कहे ही चली जाती थी, कहे ही चली जाती थीं।

समय आया और मैं राजकुमारी को बाजे गाजे के साथ ले आया। पर जब देखा तो मालूम हुआ कि वह फूलो की न थी, सोने की रानी थी। परन्तु, उसदिन जब मैने उस राजकुमारी को चिर विदा दी तव एकाएक देखा---वह फूलो ही की रानी थी, वह फूलों ही से लद रही थी। उस दिन तुमने भी तो मा, अपनी आंखो से उस पर फूल बरसाए थे।

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