पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/२९

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उठो! अब नखरे मत करो। मेरी बीबी जी बड़ी अच्छी है।

हे भगवान्! हे जगदीश! हे परब्रह्म! यह आज कैसा संकट आया। हे मुकुन्द मुरारी! किसी तरह लाज बचाओ। बुरी फॅसी। हाय करम! अच्छा चलो तुम भी साथ चलो, तुम्हे मैं छोड़ने वाली नहीं हूँ। चलो। अब नानी क्यों मरती है? 'भुस मे आग लगा जमालो दूर खड़ी', तुम्हारी वह मसल है। मैं तुम्हे छोड़ने वाली नहीं। तुमने बहुत मेरा नाक में दम किया है। ना, कितना ही मचलो छोडूगी नहीं। बनाओ बहाने बनाओ। अब मेरी बारी है।

हर बात मे तुम्हारी ही चलेगी? मैं कुछ हूँ ही नहीं। तो तुम्हे बाघ खा लेगे? जाने दो फिर, मै भी नहीं जाती। हरे राम! इस दु:ख से तो मौत ही अच्छी। अच्छा। पर देखो बाहर खड़ी रहना। देखो तुम्हे मेरी कसम! हाय! हाय! यह क्या कर रही हो। अच्छा आगे आगे चलो! अरे! धीरे धीरे। घोड़ी सी क्यों दौड़ती हो? बड़ी नटखट हो। देखो तुम्हारे पैरों पड़ूं खड़ी रहना। नहीं तो याद रखना मुझसे बुरा कोई नही। भला तुम्हे मेरी क़सम।