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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/८८

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गर्व

वह? उसकी यह मजाल! अच्छी बात है देख लूँँगा। मैडकी को जुकाम हुआ? मेरो बराबरी करेगी? बराबरी कहाँ? आगे बढ़ेगा? वह भुनगा? कल तक जो मेरे द्वार पर जूतियाँ चटखाता फिरता था। जिसकी माके हाथों मे चक्की पीसते पीसते ऑटे पड़ गये है, आज वह यों चलेगा? अकड़ कर, इस ठाठ से? कुचल डालूँँगा। दूध से मक्खी की तरह निकाल फैकूँँगा। वह अपने हिमातियों को लेकर आवे, एक एक से सुलझ लूँँगा।

मुझे नहीं जानता। ऐसे ऐसे अंटियों में अटके फिरते हैं।