पृष्ठ:अपलक.pdf/३

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श्रीमती इन्दिरा गांधी को इन्दु बेटी, जिस दिन तुम्हारा विवाह हुआ था उस दिन अनेक जनों ने तुम्हें, भेंट-उपहार समर्पित किये थे। मैं निष्कंन मन मसोस कर रह गया । तुम्हें क्या देता? उसी दिन सोचा थाः अपनी कोई कृति तुम्हें दूंगा। इतने दिन बीत गए। आज वह अवसर आया है। यह 'अपलक' नामक मेरा गीत-संग्रह स्वीकार करो, बेटी। तुम्हारा मंगल-प्रार्थी, बालकृष्ण शर्मा