पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१५३

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१४६ अप्सय नाइन खेलो । राजकुमार ने कहा-“भई, अपनी डफली अपना राग, क खेलो, बहूजो उनतीस-खेल अच्छा नहीं जानतीं, मैं हार जाऊँगा।" ___"मैं सड़ियल खेल नहीं खेलता, क्यों भाभीजी, उनतीस के लिये पत्ते छाँटता हूँ ?' चंदन ने सबसे छोटे होने के छोटे स्वर में बड़ी दृढ़ता रखकर कहा । यही निश्चय रहा। ____ “आप तो जानती हैं न २९ ? कनक से चंदन ने पूछा । “खेलिए" कनक मंद मुस्किरा दी। ____ कनक और चंदन एक तरफ, तारा और राजकुमार दूसरी तरफ हुए। चंदन ने पत्तियाँ अलग कर ली। कह दिया कि बोली चार-हीचार पत्तियों पर होगी, रंग छिपाकर रक्खा जायगा, जिसे जरूरत पड़े, साबित करा ले, रंग खुलने के बाद रॉयल पेयर की कीमत होगी। चारचार पत्तियाँ बाँटकर चंदन ने कहा-"कुछ बाजी भी ?" "हाँ, घुसौवल, हर सेट पर पाँच घूसे” राजकुमार ने कहा । "यार, तुम, गँवार हो, एम० ए० तो पास किया, पर सिंहजी का शिकारी स्वभाव वैसा ही बना हुआ है, अच्छा बोलो," राजकुमार से कहा- मैं कहता हूँ, बाजी यह रही कि हवड़ा-स्टेशन पर हैमिल्टन की कारस्तानी का मोरचा वह ले, जो जीते।" ____ राजकुमार चंदन की सूझ पर खुश हो गया । कहा-'सेवन्टीन" (सत्रह)। कनक ने कहा-"नाइन्टीन" (उन्नीस) राजकुमार-'पास' चंदन-इस-तुम तो एक ही धौल में फिस्स हो गए !" ताप और चंदन ने भी पास किया । कनक के उन्नीस रहे । उसने रंग रख दिया। खेल होता रहा । कनक ने उन्नीस कर लिए। खेल में राजकुमार कभी कायल नहीं हुआ। पर आज एक ही बार हारकर उसे बड़ी लज्जा लगी। अब राजकुमार ने पत्तियाँ बॉर्टी। कनक-'सेवन्टीन"