पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१५५

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अप्सरा __ इस मित्र-परिवार की तमाम आशाओं और शंकाओं को लिए पूरी रफ्तार से बढ़ती हुई गाड़ी लिलुआ-स्टेशन पर आकर खड़ी हो गई। हर डब्बे पर एक-एक टिकट-कलक्टर चढ़कर यात्रियों से टिकट लेने लगा। ____ कनक से हारकर अब राजकुमार उससे नजर नहीं मिलाता । कनक स्पर्धा लिए हुए दृष्टि से, अलि-युवती की तरह, अपने फूल के चारो ओर मँडराया करती है। सीधे, तिरछे, एक बराल, जिस तरह भी आँखों को जगह मिलती है, दीदी और चंदन से बचकर, पूरी बेहयाई से उससे चुभ जाती है। उसे गिरफ्तार कर खींचती, मुका हुआ देख सस्नेह छोड़ देती है। एक स्त्री के सामने यह राजकुमार की पहली हार थी, हर तरह। ___ गाड़ी लिलुआ-स्टेशन से छूट गई। चंदन ने नेतृत्व लिया । तारा का हृदय रह-रहकर काँप उठता था। राजकुमार महापुरुष की तरह स्थिर हो रहा था, अपनी तमाम शक्तियों से संकुचित चंदन की जरूरत के वक्त तत्काल मदद करने के लिये । कनक पारिजात की तरह अर्द्धप्रस्फुट निष्कलंक दृष्टि से हवड़ा-स्टेशन की प्रतीक्षा कर रही थी। केवल सर चादर से ढका हुआ, श्वेत बादलों में अधखुले सूर्य की तरह। देखते-देखते हवड़ा आ गया । गाड़ी पहले प्लैटफार्म पर लगी। चंदन तुरंत उतर पड़ा । दो टैक्सियाँ की । कुली सामान उठाकर रखने लगे। चंदन ने एक ही टैक्सी पर कुल सामान रखवाया। सिर्फ बहू का कैश-बॉक्स लिए रहा । राजकुमार को धीरे से समझा दिया कि सामान वह अपने डेरे पर उतारकर रक्खेगा, वह बहू को छोड़कर घर से गाड़ी लेकर आता है। कुलियों को दाम दे दिए। ___एक टैक्सी पर राजकुमार अकेला बैठा, एक पर बहू, कनक और चंदन । टैक्सियाँ चल दी। चंदन रह-रहकर पीछे देखता जाता था। पुल पार कर उसने देखा, एक टैक्सी आ रही है। उसे कुछ संदेह हुआ। उस पर जो आदमी था, वह यात्री नहीं जान पड़ता था। चंदन ने सोचा, यह जरूर खुफिया का कोई है, और हैमिल्टन ने इसे पीछे