पृष्ठ:अप्सरा.djvu/१७६

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अप्सरा १६९ चंदन ने तुरंत कहा-'कल जो चालीस रुपए मैंने दिए थे, श्रमी उक आपने रसीद नहीं दी। ___यही हैं। नए मैनेजर ने कहा। . ___ दारोगाजी आज्ञापत्र दिखलाकर तलाशी लेने लगे। किताबें सामने ही रक्खी थीं। देखकर उछल पड़े। उलटते हुए नाम भी उन्हें मिल गया-राजकुमार । दूसरा मजबूत मुकदमा सूमा। सब किताबें निकाल ली। ___ चंदन शांत खड़ा रहा। दारोगाजी ने इशारा किया, कांस्टेबुलों ने हथकड़ी डाल दी। अपराधी को प्रमाण के साथ मोटर पर लेकर, कॉलेज स्ट्रीट से होकर, दारोगाजी लालडिग्गी की तरफ ले चले। प्रातःकाल था। मोटर कनक के मकानवाली सड़क से जा रही थी। तिमंजिले से टेबिल-हारमोनियम की आवाज आ रही थी । दूर से चंदन को कनक का परिचित स्वर सुन पड़ा । नजदीक आने पर सुना, कनक गा रही थी"आजु रजनि बहभागिनि लेख्यन, पेख्यउँ पिक भुख-चंदा।" (२६) चार रोज बाद राजकुमार लौटा, तब कनक पूजा समाप्त कर निकल रही थी। दोनो एक साथ कमरे में गए, तो नीचे अखबार-बालक आवाज लगा रहे थे-राजकुमार वर्मा को एक साल की सख्त कैद : दोनो हँसकर एक साथ नीचे झाँकने लगे। नौकर ने कनक को अखबार लाकर दिया।