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१८ अप्सरा ____ इस समय चंदन भविष्य के किसी सत्य चित्र को स्पष्ट कर रहा था। एक तूफान उठनेवाला था। ___ गाड़ी चोरबागान पहुँची। राजकुमार के मकान के सामने लगवा चंदन उतर पड़ा । कहा-'अपने पतिदेव का कमरा देखना चाहती हो, तो आओ, तुम्हें दिखला दें। ___ कनक उतर पड़ी । भीतर जा राजकुमार का कमरा खोलकर चंदन ने बटन दबाया, बत्ती जल गई। कनक ने देखा, सब सामान विखल था। ___ चंदन ने कहा-यह देखो, जली बीड़ियों का ढेर है। यह देखो, कैसी साफ किताबें हैं, जिल्दों का पता नहीं; वे उधरवाली मेरी हैं।" राजकुमार के स्वभाव के अनुरूप उसका कमय बन रहा था। "इधर बहुत रोज से रहे नहीं, इसलिये कुछ गंदा हो गया है।" कनक ने कहा। "अब मुझे मालूम हुआ, तुम्हारी-उनकी अच्छी निभेगी, क्योकि उनके स्याह दारा तुम बड़ी खूबसूरती से धो दिया करोगी।" . "अच्छा छोटे साहब." ___“हाँ चला, वह प्रतीक्षा करते होंगे, बेचारे की आँखें कड़ा रही होंगी, आँखों को रोशनी मिले।" हँसकर कनक ने एक किताब चंदन की उठा ली। चंदन ने कनक को मोटर पर बैठाल दिया, और हरदोई का पता लिखकर दिया। ____लौटकर लेटा, तब ग्यारह बजने पर थे। सोचता हुआ सो गया। ___ आँख खुली बिलकुल तड़के दरवाजे की भड़भड़ाहट से। दरवाजा खोला, तो मकान के मैनेजर और कई कांस्टेबुल खड़े थे। ___ चंदन ने देखा, एक दारोगा भी है, सबसे पीछे, फ्रेंच-कट दाढ़ी मुसलमान होने की सूचना दे रही है। , यही है ?" दारोगाजी ने मैनेजर से पूछा। मैनेजर चकराया हुआ था। .