असरा नीचे रक्खे हुए, ताँबे के एक बड़े से बर्तन में हाथ-मुँह धोकर डब्बे से निकालकर पान खाया। दारोगाजी खाते रहे । कनक ने डरते हुए चौथा पेग तैयार कर सामने रख दिया । खाते-खाते थानेदार साहब उसे भी पी गए । कनक उनकी आँखें देख रही थी। ___ थानेदार साहब का प्रम धीर-धीर प्रबल रूप धारण करने लगा। शराब की जैसी दृष्टि हुई थी, उनकी नदी में वैसी ही बाद भी आ गई। कनक ने पाँचवाँ पेग तैयार किया। थानेदार साहब भी प्रेम की परीक्षा में फेल हा जानेवाले आदमी नहीं थे। उन्होंने इनकार नही किया। खाना खा चुकने के बाद नौकर ने उनके हाथ धुला दिए । धीरे-धीरे उनके शब्दों में प्रेम का तूफान उठ चला । कनक डर रही थी कि वह इतना सब सहन कर सकेगी या नहीं। वह उन्हें माता की बैठक में ले गई । सर्वेश्वरी दूसरे कमरे में चली गई थी। ____ गढ़ी पर पड़ते ही थानेदार साहब लंबे हो गए। कनक ने हार- मानियम उठाया। बजाते हुए पूछा-"वह जो कल दुष्यंत बना था, उसे गिरफ्तार क्यों किया आपने, कुछ समझ में नहीं आया।" ____ "उससे हैमिल्टन साहब सख्त नाराज हैं। उस पर बदमाशी लगाई गई है।" करवट बदलकर दारोगाजी ने कहा। "ये हैमिल्टन साहब कौन हैं ?" “य सुपरिटेंडेंट पुलिस हैं।" "कहाँ रहते हैं ?" कनक ने एक गत का एक चरण बजाकर पूछा। "रौडन स्ट्रोट नं०५ इन्हीं का बँगला है। "क्या राजकुमार को सजा हो गई ?” "नहीं, कल पेशी है, पुलिस की शहादत गुजर जाने पर सृजा है जायगी।" "मैं तो बहुत डरी, जब आपको वहाँ देखा।" आँखें मूंदे हुए दारोगाजी मूछों पर ताव देने लगे। कनक ने कहा-"पर मैं कहूँगी, आपके जैसा खूबसूरत जवान बना चुना मुझे दूसरा नहीं नजर आया।"