पृष्ठ:अप्सरा.djvu/३९

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अप्सरा

से मिली थी, वहाँ तक सभी यात्राएँ पर्यवसित हो जाती थीं । श्रीमती कैथरिन ने पूछा--"कुछ आपकी समझ में आया?" साहब ने अनजान की तरह सिर हिलाया, कहा-"इनका स्वयें से खेलना मुझे बहुत पसंद आया। पर में गाने का मतलब नहीं समझ सका।"

कैथरिन ने मतलब थोड़े शब्दों में समझा दिया। "हिंदोस्तानो भाषा में ऐसे भो गाने हैं ?" साहब तअज्जुब करने लगे।

कनक को साहब देख रहा था, उसकी मुद्राएँ, मंगिमाएँ, गाने के समय, इस तरह अपने मनोभावों को व्यजित कर रही थीं, जैसे वह स्वर के स्रोत में बहती हुई, प्रकाश के द्वार पर आगई हो, और अपने प्रियतम से कुछ कह रही हो, जैसे अपने प्रियतम को अपना सर्वख पुरस्कार दे रही हो । संगीत के लिये कैथरिन ने कनक को धन्यवाद दिया, और साहब को अपने चलने का संवाद साथ ही उन्हें समझा दिया कि उनकी इच्छा हो, तो कुछ देर वह वहाँ ठहर सकते हैं । कनक ने सुर-बहार एक बगल रख दिया। एकांत की प्रिय कल्पना से, अभीप्सित की प्राप्ति के लोम

से साहब ने कहा-"अच्छा, श्राप चलें, मैं कुछ देर बाद आऊंगा।

कैथरिन चली गई। साहब को एकांत मिला । कनक बातचीत करने लगी। . . . ____साहब कनक पर कुछ अपना भी प्रभाव जतलाना चाहते थे, और दैवात् कनक ने प्रसंग भी वैसा ही छेड़ दिया, “देखिए, हम हिंदोस्तानी हैं, प्रेम की बातें हिंदी में कीजिए। आप २४ परगने के पुलिस- सुपरिटेंडेंट हैं।"

"हाँ ।” ठोढ़ी ऊँची करके साहब से जहाँ तक तनते बना, तन गए।

"आपकी शादी तो हो गई होगी ?" साहब की शादी हो गई थी। पर मेम साहब को कुछ दिन बाद आप पसंद नहीं आए, इसलिये इनके भारत आने से पहले ही वह इन्हें तलाक दे चुकी थी, एक साधारण से कारण को बहुत बढ़ाकर, पर यहाँ साहब साफ इनकार कर गए, और इसे ही उन्होंने प्रेम बढ़ाने का उपाय सममा