पृष्ठ:अप्सरा.djvu/४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
अप्सरा

“अच्छा, अब तक आप अविवाहित हैं ? आपसे किसी का प्रेम नहीं हुआ? "

हमको अभी टक कोई पसंड नई आया ! हम टुमको पसंड करटा है।" साहब कुछ नज़दीक खिसक गए।

कनक डरी । उपाय एक ही उसने आज़माया था, और उसी का उपयोग वह साहब के लिये भी कर बैठी।

"शराब पीजिएगा ? हमारे यहाँ शराब पिलाने की चाल है।"

साहब पीछे क़दम रखनेवाले न थे। उन्होंने स्वीकार कर लिया। कनक ने ईश्वर को धन्यवाद दिया।

नौकर से शराब और सोडावाटर मँगवा लिया।

"तो अब तक किसी को नहीं प्यार किया?--सच कहिएगा।"

"हम सच बोलटा, किसी को नहीं।"

साहब को तैयार कर एक ग्लास में उसी तरह दिया। साहब बढें अदब से पी गए। दूसरा, तीसरा, चौथा । पाँचवें ग्लास पर इनकार कर गए। अधिक शराब जल्दी में पी जाने से नशा बहुत तेज होता है । यह कनक जानती थी । इसीलिये वह फुर्ती कर रही थी। उधर साहब को भी अपनी शराब-पाचन शक्ति का परिचय देना था, साथ ही अपने अकृत्रिम प्रेम की परीक्षा।

कनक ने सोचा, भूत-सिद्ध की तरह, हमेशा भूत को एक काम देते रहना चाहिए । नहीं तो, कहा गया है, वह अपने साधक पर ही सवारी कस बैठता है।

कनक ने तुरंत फ़र्माया-"कुछ गाओ और नाचो, मैं तुम्हाय नाच देखना चाहती हूँ।"

"टब टुम बी आओ, हिंया डांसिंग-स्टेज कहाँ ?"

“यहीं नाचो, मुझे नाचना नहीं पाता, मैं तो सिर्फ़ गाती हूँ।"

"अच्छा, टुम बोलटा, दो हम नाच सकटा।"

साहब अपनी भोंपू-आवाज में गाने और नाचने लगे। कनक देख-