“अच्छा, अब तक आप अविवाहित हैं ? आपसे किसी का प्रेम नहीं हुआ? "
हमको अभी टक कोई पसंड नई आया ! हम टुमको पसंड करटा है।" साहब कुछ नज़दीक खिसक गए।
कनक डरी । उपाय एक ही उसने आज़माया था, और उसी का उपयोग वह साहब के लिये भी कर बैठी।
"शराब पीजिएगा ? हमारे यहाँ शराब पिलाने की चाल है।"
साहब पीछे क़दम रखनेवाले न थे। उन्होंने स्वीकार कर लिया। कनक ने ईश्वर को धन्यवाद दिया।
नौकर से शराब और सोडावाटर मँगवा लिया।
"तो अब तक किसी को नहीं प्यार किया?--सच कहिएगा।"
"हम सच बोलटा, किसी को नहीं।"
साहब को तैयार कर एक ग्लास में उसी तरह दिया। साहब बढें अदब से पी गए। दूसरा, तीसरा, चौथा । पाँचवें ग्लास पर इनकार कर गए। अधिक शराब जल्दी में पी जाने से नशा बहुत तेज होता है । यह कनक जानती थी । इसीलिये वह फुर्ती कर रही थी। उधर साहब को भी अपनी शराब-पाचन शक्ति का परिचय देना था, साथ ही अपने अकृत्रिम प्रेम की परीक्षा।
कनक ने सोचा, भूत-सिद्ध की तरह, हमेशा भूत को एक काम देते रहना चाहिए । नहीं तो, कहा गया है, वह अपने साधक पर ही सवारी कस बैठता है।
कनक ने तुरंत फ़र्माया-"कुछ गाओ और नाचो, मैं तुम्हाय नाच देखना चाहती हूँ।"
"टब टुम बी आओ, हिंया डांसिंग-स्टेज कहाँ ?"
“यहीं नाचो, मुझे नाचना नहीं पाता, मैं तो सिर्फ़ गाती हूँ।"
"अच्छा, टुम बोलटा, दो हम नाच सकटा।"
साहब अपनी भोंपू-आवाज में गाने और नाचने लगे। कनक देख-