पृष्ठ:अप्सरा.djvu/४५

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अप्सरा


किया हा। फिर धारधार नीच उतरने लगे। कथरिन से उन्हाने धीम शब्दों में कुछ कहा, नीचे उसे अलग बुलाकर । फिर अपनी मोटर पर बैठ गए। कनक ने अपनी माटर से हैमिल्टन और दारोगा को उनके स्थान पर पहुँचवा दिया। (८) अदालत लग रही थी। एक हिस्सा चारो तरफ से रेलिंग से घिरा था। बोच में उतने ही बड़े तख्त के ऊपर मेज और एक कुर्सी रक्खी थी। वहीं मि० रॉबिंसन मैजिस्ट्रेटे बैठे थे। सामने एक घेरे के अंदर बंदी राजकुमार खड़ा हुआ एक दृष्टि से बेंच पर बैठी हुई कनक का देख रहा था, और देख रहा था उन वकीलों, बैरिस्टरों और कर्म- चारियों को, जो उसे देख-देख आपस में एक दूसरे को खोद-खोदकर मुसकिरा रहे थे, जिनके चेहरे पर झूठ, फरेब, जाल, दगाबाजी, कठ- हुजती, दंभ, दास्य और तोताचश्मी सिनेमा के बदलते हुए दृश्यों की तरह आ-जा रहे थे, और जिनके पर्दे में छिपे हुए वे स्वास्थ्य, सुख और शांति की साँस ले रहे थे। वहाँ के अधिकांश लोगों की दृष्टि निस्तेज, सूरत बेईमान और स्वर कर्कश था। राजकुमार ने देखा, एक तरफ पत्रों के संवाददाता बैठे हुए थे, एक तरफ वकील, बैरिस्टर तथा और लोग। ___ कनक वहाँ उसके लिये सबसे बढ़कर रहस्यमयी थी। बहुत कुछ मानसिक प्रयत्न करने पर भी उसके आने का कारण वह नहीं समझ सका। स्टेज पर कनक को देखकर उसकी तरफ से उसके दिल में अश्रद्धा, अविश्वास तथा घृणा पैदा हो गई। जिस युवती को इडेन- गार्डन में एक गारे के हाथों से उसने बचाया, जिसके प्रति, सभ्य महिला के रूप में देखकर, वह समक्ति खिंच गया था, वह स्टेज की एक नायिका है, यह उसके लिये बरदाश्त करने से बाहर की बाव थी। कनक का तमाम सौंदयं उसके दिल में पैदा हुए इस घृण-भाव को प्रशमित तथा पराजित नहीं कर सका। उस दिन, स्टेज पर,