पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/२८४

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२७८ अमर अभिलाषा इसके बाद मानती ने संक्षेप से अपनी दुर्दशा का हान बयान कर दिया । वह किस भाँति फुसलाई गई, यह भी कह दिया, और किस तरह बारह घण्टे तक जबर्दस्ती बन्द की गई, वह भी बता दिया। बयान लेने पर इन्स्पेक्टर ने अधिष्ठातानी को चारपाई के नीचे से निकलवाया। लातों के मारे उनका भुस होगया था, और उनके होश-हवास गुम होगये थे । इन्स्पेक्टर ने उनका भी वयान लिया । श्राश्रम की तलाशी भी ली। दो स्त्रियाँ ऊपर की मंज़िल में और कैद की हुई मिलीं। कुछ ज़ेवर भी बरामद हुआ । इन्स्पेक्टर साहब सव सामान ले, अधिष्ठाता और देवीनी की बारात सना, मालती और अन्य सभी नियों को साथ ले, याने की ओर रवाना हुए। सँतालीसवाँ परिच्छेद हमें विश्वास नहीं होता, कि हमारे पाठकों में एक भी व्यक्ति ऐसा हृदय-हीन होगा, जो परम सन्तप्त जयनारायण के प्रति अपनी गाद सहानुभूति न रखता हो । पर हम यह निवेदन करने को विवश हैं, कि अभी उस अभागे की दुरवस्था का अन्त नहीं हुमा है। मान एक ऐसा समाचार उसे मिला है, नो अत्यन्त कष्टकर है। चार दिन से बिरादरी की पञ्चायत होरही थी। पय-