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पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/३४८

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अमर अभिलाषा अन्त में उसने आँखें बन्द करली, और कुछ ही मिनट बाद उसने अन्तिम श्वास छोड़ दी। सन्नाटा होगया। परन्तु कहीं से एक विपादपूर्ण गीत के गाने की धीमी ध्वनि सुनाई दी। जयनारायण ने सिर उठाकर देखा-मानुफ लेढी-बॉक्टर करुणाई स्वर में एक विषादपूर्ण अंग्रेज़ी गीत गाकर श्रमागिनी भगवती की आत्मा को स्वर्ग के वन्द द्वार पर मानो निराश भाव से खड़ी देख रही है। समाप्त