पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/३५३

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'विना समाप्त किये न छोदना, इन कहानियों को दी है। मूल्य रुपमा। ५-अमर राठौर (लेखक-श्री० चतुरसेन शास्त्री) द्विजेन्द्रलाल-स्कूल का सर्वप्रथम मौलिक नाटक । हिन्दी- भाप में नाट्य-साहित्य विकसित अवस्या में है। ऐतिहासिक नारक तो हिन्दी में देखने को नहीं मिलते। शास्त्रीजी की जोर- दार लेखनी से निकला हुधा यह ऐतिहासिक नाटक सर्वया मौलिफ है। कवर पर भावपूर्ण चित्र । पृष्ट संख्या २०० के लग- भग, और मूल्य केवल रुपमा । ६-प्रेम का दम्भ (दूसरा संस्करण] (अनुवादक-श्री ऋपभचरण जैन) महर्षि टॉल्मटॉय रूम के एफ पढ़े प्रयत्न महापुरुष हुए हैं। उनकी प्रतिमा सर्वतोमुखी थी, और उन्होंने लिम विषय पर जो- कुछ लिखा, संसार-साहित्य का अनमोल रम पैदा किण। प्रस्तुत रचना में उनकी दो विश्व-विल्यात कहानियों का अविकल धनु- पाद है। विवाह क्या है ? गृह-कलह का परिणाम क्या है ? नैतिकता किस चीज़ का नाम है ? आँखों पर पट्टी बाँधकर हम किस पतन-गहर में समा रहे है ? इन प्रश्नों का मार्मिक उत्तर भाप इस पुस्तक में पायेंगे । जारकालीन दास प्रथा का रोमाब- कारी वर्णन भी इसी पुस्तक में है। अत्यन्त उपयोगी अन्य है।