पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/३५८

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( 10 ) १८-कण्ठहार (अनुवादक-श्री ऋषभचरण जैन) विख्यात शन्सीसी लेखक अलेग्जेवढर व्य मा के 'दि क्वीन्स नेकलेस' का हिन्दी-अनुवाद । किस प्रकार रान-महिषी के हीरों के हार को लेकर भयङ्कर पढ्यन्त्र रचा गया, किस प्रकार जादूगर कालस्तर की भयङ्कर नीति के कारण क्रन्च-राजनीति में क्रान्ति का प्रवेश हुआ, किस प्रकार मायाविनी लीन की चालों के कारण महारानी मेरी को दुनियाँ में मुँह दिखाना हराम होगया। इसके साथ-साथ उस समय की राजनैतिक स्थिति, रान-महलों की अभि- सन्धियाँ, कर्तव्य और प्रेम के लोमहर्षक संघर्ष और राजकीय- कोप के मीपण परिणाम भी श्राप प्रस्तुत पुस्तक में देख पायेंगे। अनुवाद की भाषा अत्यन्त रोचक और सजीव है पांच सौ पृष्ठ की सचित्र, सनिल्द पुस्तक का मूल्य केवल ३) रुपया! १६-कसक (लेखक-श्री रामविलास शुक्ल) हिन्दी के एक नवयुवक लेखक की प्रथम रचना । एक मछुतो प्रेम कहानी का सरस वर्णन् । मूल्य सचिन सजिल्द ) २०-धर्म के नाम पर (लेखक-श्री० चतुरसेन शास्त्री) हिन्दुओं की नाबायको नैवन्धिक वर्णन् । क्रांति के शोले,