पृष्ठ:अयोध्या का इतिहास.pdf/१३

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किया जाता है। इसमें छापे की अशुद्धियाँ बहुत हैं। पढ़ने से पहले उन्हें शुद्ध कर लेना चाहिये।

अयोध्या में इतिहास की सामग्री दबी पड़ी है जो पुरातत्त्वविज्ञान की खोज से निकलेगी परन्तु जो कुछ इस ग्रन्थ में लिखा गया है उससे यदि इतिहास के मर्मज्ञों का ध्यान इस पुरानी उजड़ी नगरी की ओर आकर्षित हो तो मैं अपना परिश्रम सफल समझूँगा।

धरि हिय सिय रघुबीर पद, विरच्यो मति अनुरूप।
अवधपुरो-इतिहास यह, अवधनिवासी भूप॥
निज पुरुषन को सुजस तहँ तेज प्रताप विचारि।
पढ़ैं मुदित मन सुजन तेहि मेरे दोष बिसारि॥



प्रयाग
आश्विन कृष्ण ११ श्री अवधवासी भूप उपनाम सीताराम।
सं॰ १९८८