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प्रसिद्ध राजाओं के संक्षिप्त इतिहास


२३ शाक्य—यही बुद्धदेव के कुल का भी नाम।

२४ शुद्धोदन—बुद्धदेव के पिता का भी नाम।

२५ सिद्धार्थ—बुद्धदेव ही का नाम, बुद्ध होने से पहिले।

२६ राहुल—बुद्धदेव के बेटे का नाम।

इसमें संदेह नहीं कि कपिलवस्तु कोशल देश के अन्तर्गत था परन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि श्रावस्ती में जहाँ इस समय राजधानी अयोध्या से उठ कर चली गई थी, कभी कपिलवस्तु के राजाओं ने राज किया। महावीर तीर्थकर के पिता इक्ष्वाकुवंशी सिद्धार्थ थे परन्तु वे विशाला के रहने वाले थे। ऐसा अनुमान किया भी जाय तो उसका खंडन यों हो जाता है कि प्रसंनजित जिसने तक्षशिला के विद्यालय में शिक्षा पाई थी, बुद्धदेव के पास गया था और उनसे कहा था कि लिच्छवी राजा और मगध के बिंबिसार दोनों मेरे मित्र हैं। प्रसेनजित का विस्तार सहित वर्णन अध्याय ९ में दिया हुआ है।

उसका बेटा क्षुद्रक (सं० २८) बौद्ध ग्रन्थों में विरूधक कहलाता है, कदाचित् इसलिये कि बौद्धों से विरोध रखता था। यह शाक्यों के वध के लिये इतिहास में प्रसिद्ध है।

कुछ विद्वानों का मत है कि अन्तिम राजा सुमित्र महापद्मनन्द के समय की क्रान्ति में ई० पू० ४२२ में मारा गया था। परन्तु जिस शिला-लेख का वर्णन अध्याय ७ पर है उसके अनुसार कम से कम ५० बरस पहिले सूर्यवंश का अन्त हो गया था।

जापान के सुप्रसिद्ध विद्वान् आर० किमोरा कुछ दिन हुये भारत में आये थे। उनका विचार है कि जापानी भारतवासियों की सन्तान हैं। यह बात बड़ी मनोरञ्जक है। जापानी मिकाडो को अम्मा की सन्तान मानते हैं क्योंकि पहिले मिकाडो की उत्पत्ति अम्मा में मानी जाती है और अम्मा ईश्वर का अवतार था। क्या इस अनुमान से विशेष आपत्ति

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