पृष्ठ:अयोध्या का इतिहास.pdf/२९६

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उपसंहार (प)
गढ़वा का शिलालेख

गढ़वा प्रयागराज से २५ मील दक्षिण शिवराजपूर स्टेशन से ४ मील पश्चिमोत्तर है। इस में कई शिलालेख हैं। नीचे लिखा हुआ शिलालेख मन्दिर के खंभे पर खुदा है।

श्री नवग्राम भट्टग्रामीय श्रीवास्तव्य कायस्थ
ठक्कुर श्री कुन्दपालपुत्र ठक्कुर श्री रणपालस्य
मूर्तिः गणित कारोयं संवत् ११९९

यह मूर्ति नवग्राम भट्टग्राम के रहनेवाले श्रीवास्तव्य कायस्थ ठक्कुर श्री कुन्दपाल के पुत्र ठक्कुर श्री रणपाल की है। यह गणितकार थे संवत ११९९ ।

इससे विदित है कि यह मन्दिर ठाकुर रणपाल श्रीवास्तव्य का बनवाया हुआ है। भट्टग्राम कदाचित् आजकल का बरगढ़ हो जो यहां से मील उत्तर है।

मेवहड़ का शिलालेख

मेवहड़ भी इसी जिले में कोसम (पुरानी कौशाम्बी) से सात मील है। इसमें मन्दिर के सामने पत्थर का चौखट पड़ा था जिसपर यह लेख खुदा हुआ है :— ॐ परमभट्टारकेत्यादि राजावली पञ्चतयोपेताश्वपति गजपति नरपति राजत्रयाधिपति विविधि (विचारवाचस्पति) श्री मज्जयच्चन्द्रराज्ये संवत् १२४५ कौशाम्बपत्तलायां मेहवड़ ग्राम वास्तोक श्रीवास्तव्य ठक्कुर…(सि)द्धेश्वरस्य प्रासादमकारयत।

ओम् परम भट्टारक इत्यादि पांच राजावली युक्त अश्वपति गजपति नरपति, तीन राज्यों के स्वामी नाना प्रकार की विद्या विचार के वाचस्पति श्रीमान् जयचन्द्र के राज्य में कौशाम्बी पत्तला (परगने) के मेवहड़ गावँ के रहनेवाले श्रीवास्तव्य ठक्कुर…ने सिद्धेश्वर का मन्दिर बनवाया।"