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वेदों में अयोध्या
इसको ध्यान से पढ़िये तो ऋषि का अच्छा शासक होना प्रकट होता है। वह केवल अपने वैरियों का विनाश नहीं चाहता वरन् यह भी कहता है कि हम उन दोषों से मुक्त रहें जिनके कारण राजा लोग अपने धर्म से विचलित होते हैं। इन मंत्रों में नाम कहीं मन्धातृ और कहीं मान्धातृ है परन्तु दोनों के एक होने में सन्देह नहीं।