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एक नये प्रकार की नौका का नमूना सोचा था, और अपने 'कार्थेज जाति के इतिहास' का छठवाँ भाग समाप्त किया था। उन्हें संतोष था कि आज का दिन सुफल हुआ, इसलिए यह बहुत प्रसन्न थे।

एक क्षण के उपरान्त वह पापनाशी से फिर बोले-संत पापनाशी, यहाँ तुम्हें कई सज्जन बैठे दिखाई दे रहे हैं जिनका सत्संग बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है-यह सरापीस मन्दिर के अध्यक्ष हरमोडोरस हैं, यह तीनों दर्शन के ज्ञाता निमियास, डोरियन और जेनों हैं, यह कवि कलिकान्त हैं, यह दोनों युवक चेरिया और अरिस्टो पुराने मित्रों के पुत्र हैं और उनके निकट दोनों रमणियाँ फिलिना और ड्रोसिया हैं जिसकी रूपछवि पर हृदय मुग्ध हो जाता है।

निसियास ने पापनाशी से आलिंगन किया और उसके कान मे बोला-

बन्धुवर, मैंने तुम्हें पहले ही सचेत कर दिया था कि 'चीनस' (शृङ्गार की देवी-यूनान के लोग शुक्र को वीनस कहते थे) बड़ी बलवती है। यह उसी की शक्ति है जो तुम्हें इच्छा न रहने पर भी यहाँ खींच लाई है। सुनो, तुम वीनस के आगे सिर न झुकाओगे, उसे सब देवताओं की माता न स्वीकार करोगे, तो तुम्हारा पतन निश्चित है। तुम उसकी अवहेलना कर के सुखी नहीं रह सकते। तुम्हें ज्ञात नहीं है कि गणित शास्त्र का उद्भट ज्ञाता मिलानथस का कथन था कि मैं वीनस की सहायता, के बिना त्रिभुजों की व्याख्या भी नहीं कर सकता।

डोरियन, जो कई पल तक इस नये आगन्तुक की ओर ध्यान से देखता रहा था, सहसा तालियां बजाकर बोला-

यह वही है, मित्रो, यह वही महात्मा हैं। इनका चेहरा,